बनु क़ुरैज़ा की कहानी

बनू क़ुरैज़ा मदीना में रहने वाले तीन प्रमुख यहूदी कबीलो में से एक था, जिसके सभी लोगो को मोहम्मद साहब ने एक ही दिन में कटवा दिया, और उनकी महिलाओं को लौंडी (sex slave ) और बच्चों को ग़ुलाम बना दिया गया, बनु कुरैजा की कहानी बहुत दर्दनाक है, तो चलिए आज उसी बनु कुरैजा पर हुए जुल्मों सितम की दास्ताँ को याद करते है। 

तो हुआ क्या था…

मोहम्मद साहब अभी तक कुरेश के लोगो के साथ, बद्र और उहुद (जिसमे शायद अल्लाह उनकी मदद नहीं कर पाया और न सिर्फ वो हारे बल्कि उनके दो दांत भी टूट गए और उन्हें पहाड़ियों में अपनी जान बचाने के लिए छिपना पड़ा) की जंग लड़ चुके थे, और मदीना से दो यहूदी कबीलों, बनू कुनेका और बनू नजीर की सारी सम्पति जब्त कर उन्हें निकाल चुके थे,  इन्ही कबीलों के कुछ लोग मोहम्मद साहब से बदला लेने के लिए कुरेश कबीले के लोगो के पास गए और उनसे मदद मांगी, चूंकि मोहम्मद साहब आए दिन मक्का के काफिलों को लूट रहे थे, इससे परेशान होकर, कूरेश कबीले का सरदार अबु सूफियान अपने कुछ लोगो के साथ मोहम्मद साहब से जंग करने निकल जाता है। [1]

फिर कुरेश और मोहम्मद साहब के बीच में ditch का युद्ध लड़ा जाता है, जिसमे बनू कुरेजा का सरदार मोहम्मद साहब के डर के कारण, या इस्लामिक इतिहासकारों के मुताबिक उनके एक सहाबी नोमान की चालाकी के कारण, कुरेश की कोई सहायता नही करते, जिसके कारण कुरेश के लोग वापस चले जाते है, इसलिए ये आरोप लगाना की कुरैजा के लोगो ने गद्दारी की, सरासर गलत है, क्योंकि इस जंग में मोहम्मद साहब के पास मात्र तीन हजार सिपाही थे और कुरेश के पास 10000 और मोहम्मद साहब यह जंग आसानी से हार जाते पर, और मोहम्मद साहब ने खंदक खोदने का आदेश भी सिर्फ उस तरफ से दिया था जिस तरफ से कुरेश के लोग आ रहे थे, जो की दर्शाता है की उन्हें भी विश्वास था की बनु कुरैजा के लोग गद्दारी नहीं करेंगे, बाकी दो तरफ से ये इलाका पहाड़ियों से घिरा था और मदीना में प्रवेश का सिर्फ एक ही तरीका था, बनु कुरैजा कबीले से होकर, जिसकी  इजाजत बनु कुरैजा का सरदार नहीं देता, यदि बनु कुरैजा जंग ए खंदक में गद्दारी करता तो कुरेश के लोगो को वापस नहीं लौटना पड़ता, और न ही ये जंग मोहम्मद साहब जीत पाते, कुरैजा के लोगो ने तो ऐसा कुछ भी नहीं किया जिससे साबित हो की उन्होंने गद्दारी की पर हमें देखना चाहिए की क्या जो मोहम्मद साहब ने किया, क्या वो एक नबी का काम था ??

उसके बाद  

Sahih Al Bukhari 4117

जब पैगंबर खंदक की लड़ाई से लोटे, और अपने हथियार रखकर नहाने लगे, जिब्राइल आया और कहा (पैगंबर से) आपने अपने हथियार रख दिए है, अल्लाह की कसम, हम फरिश्तों ने तो अब तक उसे नीचे नही रखा, उनके लिए निकल जाओ, अल्लाह के रसूल ने कहा "कहा जाना है", जिब्राइल ने बनू कुरेजा की तरफ इशारा करके कहा उस तरफ, इसलिए पैगंबर उस तरफ निकल गए।

फिर मोहम्मद साहब ने अजान देने वाले को बुलाया और उससे अजान के बाद, बनू कुरेजा पर हमले का एलान करने को कहा।

पहले रसूल ने अली को बनू कुरेजा की तरफ रवाना किया, जब अली वहा पहुंचा तो उसने बनू कुरेजा के लोगो को बुरा भला कहते सुना,जब रसूल बनू कुरेजा के पास पहुंचे तो उन्होंने लोगो से कहा, ए बंदरो और सुवरो, क्या तुमने देखा नही की खुदा ने तुम्हे किस तरफ जलील किया है, और कैसा अजाब तुम पर नाजिल किया, यह सुनकर बनू कुरेजा के लोग बोले, की तुम किस तरह के अल्फाज इस्तेमाल कर रहे हो।

Sahih Al Bukhari 3137

रिवायत अबू हुरैरा:

जब हम मस्जिद में थे, पैगंबर (ﷺ) बाहर आए और कहा, "चलो यहूदियों के पास चलते हैं" हम बैत-उल-मिद्रास पहुंचने तक चलते रहे। रसूल ने यहुदियों से कहा, "यदि तुम इस्लाम को स्वीकार करते हैं, तो तुम सुरक्षित रहोगे, तुम्हे पता होना चाहिए कि ये धरती अल्लाह और उसके रसूल की है, और मै तुमको इस जमीन से निकालना चाहता हूं। इसलिए, यदि तुम्हारे में से किसी के पास कुछ संपत्ति है, तो इसे बेचने की अनुमति है, अन्यथा तुमको पता होना चाहिए कि पृथ्वी अल्लाह और उसके रसूल की है।"

जब यह बात बनू कुरेजा के सरदार काब बिन असद को पता चली तो वह अपने लोगो के पास गया और उनसे कहा

ए यहुदियों जिस हालत में हम आए है वो तुम देख सकते हो, मैं तुमसे तीन बाते कहता हु, उसमे से जो तुम्हे पसंद है उन्हे कबूल कर लेंगे, पहला की अब तुम इस्लाम कबूल कर लो, यही एक रास्ता है की तुम अपनी महिलाओं और बच्चों की जान बचा सको , क्योंकि हम मोहम्मद से लड़ने के लिए काफी नही है, यह सुनकर यहूदी बोले की हम तोरेत को छोड़कर किसी और मजहब पर ईमान कैसे ला सकते है, इस पर काब ने कहा, ठीक है, यदि तुम इस्लाम कबूल नही कर सकते तो अपनी तलवारों से अपने बच्चो और महिलाओं को मार डालो, और फिर मोहम्मद और उसके लोगो से जंग करो, इस पर यहूदी बोले भला कैसे हम अपने हाथो से अपनी महिलाओं और बच्चों को मार सकते है, इस पर काब ने तीसरा सुझाव दिया, की आज शनिवार है, तो आज चुपके से मोहम्मद पर हमला कर दो, इन्हे अंदाजा भी नहीं होगा की इस दिन तुम इन पर हमला कर सकते हो, इस पर यहूदी बोले की पवित्र दिन पर हम हमला नही कर सकते, जब यहूदी किसी सुझाव पर राजी नहीं हुए तो बनू कुरेजा ने भी बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया, यह सोच कर की, मोहम्मद साहब, बनू कुरेजा को भी, बनू कुनेका और बनू नजीर की तरह मदीना से निकाल देंगे, और उनकी जान बच जायेगी पर ऐसा नहीं हुआ [2] मोहम्मद साहब ने पूरे बनू कुरेजा कबीले की घेराबंदी कर दी, और यह घेरा बंदी 25 दिन तक चली, फिर मोहम्मद साहब ने आदेश दिया की, बनू कुरेजा के सभी आदमियों के हाथ पैर बांध दिए जाए और कैद कर लिया जाए और महिलाओं और बच्चों को अलग जगह बंदी बनाकर रखा जाए। बनू कुरेजा का यह हश्र देखकर इसकी मदद कर रहा ओस कबीला भी हिम्मत हार जाता है, फिर यहुदियों ने मोहम्मद से विनती की, की वह अपने साथी abu लुबाबा को उनके पास भेजे ताकि वह कुछ सलाह मशवरा कर सके, जब अबू लुबाबा यहुदियों के पास आया तो उनकी महिलाओं और बच्चों की रोने और दयनीय स्थिति को देखकर उसे उन पर रहम आ गया, यहुदियों ने अबू लुबाबा से पूछा की मोहम्मद ने क्या फैसला किया, इस पर अबु लुबाबा ने अपनी गर्दन पर हाथ फेरते हुए इशारा किया, मृत्यु [3]

फिर अगले दिन जब सुबह हुई और बनू कुरेजा के लोगो को।मोहम्मद के पास लाया गया तो, ओस कबीले ने मोहम्मद से बहुत विनती की, की वो उन्हे भी बनू कुनेका की तरह मदीना से निकाल दे और उनकी सारी दौलत ले ले पर मारे न, इस पर मुहम्मद ने कहा, की क्या हो यदि मैं इसका फैसला तुम्हारे ही कबीले के एक इंसान को करने को कहूं, इस पर यहुदियों को लगा की उनके कबीले का आदमी उनके हक में फैसला करेगा, और उन्होंने हामी भर दी, फिर रसूल ने साद को फैसला करने को कहा, साद पहले यहूदी था, यह यहुदियों और अपने कबीले से बहुत नफरत करता था, इसलिए यह इस्लाम कबूल कर लेता है और मोहम्मद साहब की सेना में शामिल हो जाता है, और मोहम्मद साहब भी यह बात जानते थे, इसलिए बड़ी चालाकी से वो साद को फैसला करने को कहते है, साद यहुदियों से कहता है, की क्या तुम्हे मेरा फैसला मंजूर होगा, यहुदियों ने कहा, हा हमे मंजूर है, और फिर साद ने कहा, तो मैं फैसला करता हु की बनू कुरेजा के जवान मर्दों का कत्ल कर दिया जाए और उनकी महिलाओं और बच्चों को गुलाम बनाकर उनकी सारी दौलत छीन ली जाय,[4] ऐसा महान फैसला सुनकर नबी, रहमत्तुल आलमीन, साद से कहते है, की साद तुमने सातवे आसमान पर बैठे अल्लाह के मुताबिक फैसला किया है [5]

फिर बनू कुरेजा के लोगो को गिरफ्तार कर लिया गया और सहर के बाजार में गड्ढे खोद दिए गए, ताकि लोगो को बारी बारी मारकर उनमें दफनाया जा सके [6], अल तबरी बताता है की इन यहुदियों की 700 तक थी, और अधिकतम 900, जब यहुदियों को मारने के लिए ले जाया जा रहा था, तो यहुदियों ने साद से पूछा, ए साद तुम हमारे लोगो को कहा ले जा रहे हो , इस पर साद कहता है, क्या तुम्हे दिखाई नही देता की तुममें से जो भी वहा जाता है जिंदा वापस नहीं लौटा [7] , और इसी तरह मोहम्मद साहब के साथियों ने इन यहुदियों का कत्ल कर दिया,

Ibn hisame कहता है, जब यहुदियों को कत्ल करने के लिए ले जाया जा रहा था, तो यहूदी कहते, हमारा फला व्यक्ति कहा है, मोमिन कहते वो कत्ल हो गया, और फिर उन्होंने पूछा तो दूसरे लोग कहा है, लोगो ने कहा की वो भी कत्ल हो गए, यहुदियों ने कहा, फिर तो तुम हमे भी हमारे लोगो के पास पहुंचा दो, उनके बगैर जिंदगी का कोई मतलब नहीं है, हमे उनसे मिलने की उम्मीद है, इस पर अबु बकर ने कहा, तुम जहन्नुम में उनसे हमेशा मिलते रहोगे, फिर हर एक shaksh को ले जा कर उसकी गर्दन कलम कर दी गई। [8]

इसके बाद मोहम्मद ने कहा, जो लड़के बालिग हो गए हो उन्हे भी कत्ल कर दिया जाए, [9]

यह बताया गया की, कथिर बिन अस-सैब ने बताया : कुरैज़ा के बेटों ने मुझे बताया कि उन्हें कुरैज़ा के दिन अल्लाह के रसूल के सामने पेश किया गया था, और जो भी (उनमें से) यौवन तक पहुँच गया था, या जिनके प्राइवेट पार्ट पर बाल उग आए थे, मार दिया गया था, और जो यौवन तक नहीं पहुंचा था और जिनके बाल नहीं आए थे (जीवित) छोड़ दिया गया था।

Ishaq बताता है, की जब मोहम्मद साहब ने लडको को भी कत्ल करने का आदेश दिया, तब उनमें से एक एक यहूदी बच्चा जिसके प्राइवेट पार्ट पर बाल नहीं उगे थे, इस कारण वह बच तो गया पर अब उन्हें उनकी माओ से दूर करके बाजार में बेचने के लिए ले जाया जा रहा था, उस यहूदी बच्चे ने रसूल से कहा, अब से मैं नमाज पढूंगा, और ऊट का मीट भी खाऊंगा, इस पर उसकी जान बक्श दी गई, [10]

तबरी लिखता है की मोहम्मद साहब ने उन गुलाम बच्चो को नजद में ले जा कर बेच दिया [11], और उसके बदले में उन्हें जो रकम मिली उससे उन्होंने हथियार और घोड़े खरीदे।

गुलाम बनाए गई महिलाओं में से एक रिहाना नाम की लड़की को मोहम्मद साहब ने अपने लिए रख लिया, उन्होंने रिहाना को प्रस्ताव दिया की वो इस्लाम कबूल कर ले और उनसे शादी कर ले, तो उसे गुलामी से आजाद कर दिया जायेगा। पर रिहाना ने इस्लाम कबूल करने से मना कर दिया और एक लौंडी बनकर जीना ज्यादा बेहतर समझा। [12]

Research credit : Zafar heretic

फुटनोट

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