जब अल्लाह के रसूल ने किया अपनी बहु से निकाह | ज़ैनब और मुहम्मद की कहानी

इस्लाम को इस्लाम की किताबो से देखना चाहिए, तो चलिए देखते है इस्लामिक किताबे क्या कहती है, पैगमबर ने एक लड़के को गोद लिया था जिसका नाम था ज़ैद, ज़ैद बिन मुहम्मद , और उसका निकाह अपने ही अंकल की बेटी ज़ैनब बिन्ते जहस के साथ करवा दिया।

सहीह अल बुखारी 4782

तारीख अल तबरी VOL 8 PAGE 2

एक बार हमारे प्यारे नबी ज़ैद के घर पर उससे मिलने गए पर ज़ैद उस समय घर पर नहीं था, ज़ैद की बीवी ज़ैनब घर में कुछ कम वस्त्रो में थी, जो की अरब की गर्मी में एक स्वाभाविक बात है, ( कम से अर्थ यहाँ घरेलु वस्त्र है ) जब हमारे प्यारे नबी सल्लालु आलेही वस्सलम ज़ैद के घर पर पहुंचे तो उन्होंने आवाज दी, क्या ज़ैद घर पर है? हमारे प्यारे नबी ने ज़ैनब को उन वस्त्रो में देखा और और वो उनके दिल में प्रवेश कर गयी, ज़ैनब हमारे प्यारे नबी का स्वागत करने के लिए उठी और हमारे प्यारे नबी से कहा, "आप अंदर पधारिए, आप वो है जो मुझे मेरे माता पिता की तरह प्रिय है" पर अल्लाह की मर्जी कुछ और थी, पैगम्बर ने उसे ये कहकर व्यक्त किया "सुभानअल्लाह जो लोगो के दिलो को बदल देता है" ज़ैनब उसका अर्थ नहीं समझ पायी और हमारे प्यारे नबी दरवाजे से ही लौट गए, पता नहीं जबरदस्ती का भाई और पिता बनाने की आदत लड़कियों की कब जाएगी, पर आगे जो हुआ, वो मिसाल है, एक पुत्र प्रेम की। ज़ैद घर पर आये, ज़ैनब ने उन्हें सारा किस्सा सुनाया, ज़ैद ने पूछा तुमने उन्हें घर में आने को क्यों नहीं कहा, ज़ैनब ने फिर कहा, मैंने तो कहा था की ए नबी आप मुझे मेरे माता पिता की तरह प्रिय है, परन्तु वो तो कुछ बड़बड़ाते हुए बाहर से ही चले गए, ज़ैद ने पूछा उन्होंने क्या कहा, ज़ैनब बोली, उन्होंने कहा "सुभानअल्लाह जो लोगो के दिलो को बदल देता है", ज़ैनब को भले ही समझ न आया हो पर ज़ैद को सब समझ आ गया, और दुनिया में एक पुत्र के त्याग और पिता के प्रति असीम प्रेम का उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए ज़ैद अपने पिता के घर गए, और उनसे सीधे सीधे कहा की, अगर आप चाहे तो मै ज़ैनब को तलाक दे सकता हु, पर हमारे प्यारे पैगम्बर लोग, क्या कहेंगे इससे डर गए और जो उनके दिल में था उसे छुपा गए , और कहा अपनी बीवी को अपने पास रख, पर अल्लाह ये कैसे सहन कर सकता है की किसी चीज के लिए अल्लाह के रसूल को दुःख हो, और वो इन तुच्छ मानवो से डरे तो अल्लाह ने आयत नाजिल की

क़ुरान 33:37

तथा (हे नबी!) आप वह समय याद करें, जब आप उससे कह रहे थे, उपकार किया अल्लाह ने जिसपर तथा आपने उपकार किया जिसपर, रोक ले अपनी पत्नी को तथा अल्लाह से डर और आप छुपा रहे थे अपने मन में जिसे, अल्लाह उजागर करने वाला[ था तथा डर रहे थे तुम लोगों से, जबकि अल्लाह अधिक योग्य था कि उससे डरते, तो जब ज़ैद ने पूरी करली उस (स्त्री) से अपनी आवश्यक्ता, तो हमने विवाह दिया उसे आपसे, ताकि ईमान वालों पर कोई दोष न रहे, अपने मुँह बोले पुत्रों की पत्नियों कि विषय1 में, जब वह पूरी करलें उनसे अपनी आवश्यक्ता तथा अल्लाह का आदेश पूरा होकर रहा।

आयत उतरने के बाद नबी ने कहा की कौन ज़ैनब को ये खुसखबर देने जायेगा की अल्लाह ने उसका निकाह हमारे प्यारे नबी के साथ तय कर दिया है, और नबी ने उससे निकाह कर लिया, ये देखकर वहा खड़ी एक छोटी बच्ची आयशा ने कहा "ऐसा लगता है मानो अल्लाह आपकी ख्वाहिशे पूरी करने को उतावला रहता है" और ज़ैनब तो हमेशा अपनी सौतनों को सुनाती न थकती, की तुम सब का निकाह नबी के साथ तो तुम्हारे माँ बापो ने किया, पर नबी के साथ मेरा निकाह तो अल्लाह ने 7 वे आसमान के ऊपर किया है।

पर निकाह से बड़ी समस्या आन खड़ी हुई, हमारे प्यारे नबी का डर सही साबित हुआ, वो अरब जगत जहा बच्चे को गोद लेना एक पवित्र कार्य माना जाता है, वह रसूल के इस कृत्य पर सवाल उठाने लगा, उन्होंने कहा तुम अपने बेटे की बहु से निकाह कैसे कर सकते हो, अल्लाह ने इस बार लोगो और ज़ैनब दोनों के मुँह पर तमाचा मारते हुए, फिर एक आयत नाजिल की

क़ुरान 33:40

मुह़म्मद तुम्हारे पुरुषों मेंसे किसी के पिता नहीं हैं। किन्तु, वे [ अल्लाह के रसूल और सब नबियों में अन्तिम हैं और अल्लाह प्रत्येक वस्तु का अति ज्ञानी है।

पर ये अज्ञानी जन समुदाय ये समझने को तैयार नहीं था, और न ही वो अल्लाह के इस फरमान से संतुष्ट ही थे, तो अल्लाह सुब्हानहु व तआला ने फिर से एक आयत नाजिल की और इस बार समस्या को जड़ से ही मिटा दिया, अल्लाह ने बच्चे गोद लेने का रिवाज ख़त्म कर दिया,

क़ुरान 33:4

और नहीं रखे हैं अल्लाह ने किसी को, दो दिल, उसके भीतर और नहीं बनाया है तुम्हारी पत्नियों को, जिनसे तुम ज़िहार[ करते हो, उनमें से, तुम्हारी मातायें तथा नहीं बनाया है तुम्हारे मुँह बोले पुत्रों को तुम्हारा पुत्र। ये तुम्हारी मौखिक बाते हैं और अल्लाह सच कहता है तथा वही सुपथ दिखाता है।

और इस प्रकार ज़ैद बिन मुहम्मद फिर ज़ैद बिन हरिथा बन गया

पर रुकिए ये यही समाप्त नहीं हुआ, दरअसल अब एक नयी समस्या खड़ी हो गयी, जैसा की क़ुरान फरमाता है,

क़ुरान 33 : 21

तुम्हारे लिए अल्लाह के रसूल में उत्तम [ आदर्श है, उसके लिए, जो आशा रखता हो अल्लाह और अन्तिम दिन (प्रलय) की तथा याद करो अल्लाह को अत्यधिक।

पर इस्लाम में तो सिर्फ 4 शादिया करने की इजाजत है, पर अब तो ये संख्या 4 से ज्यादा थी, ऊपर से ज़ैनब अंकल की बेटी अलग, तो लोगों ने पूछा की क्या वो भी 5 शादिया कर सकते है, तो इस अल्लाह ने फिर से एक आयत नाजिल कर दी

हे नबी! हमने ह़लाल (वैध) कर दिया है आपके लिए आपकी पत्नियों को, जिन्हें चुका दिया हो आपने उनका महर (विवाह उपहार) तथा जो आपकी लोंडी हो, उसमें से, जो प्रदान किया है अल्लाह ने आप[ को तथा आपके चाचा की पुत्रियों, आपकी फूफी की पुत्रियों, आपके मामा की पुत्रियों तथा मौसी की पुत्रियों को, जिन्होंने हिजरत की है आपके साथ तथा किसी भी ईमान वाली नारी को, यदि वह स्वयं को दान कर दे नबी के लिए, यदि नबी चाहें कि उससे विवाह कर लें। ये विशेष है आपके लिए अन्य ईमान लालों को छोड़कर। हमें ज्ञान है उसका, जो हमने अनिवार्य किया है उनपर, उनकी पत्नियों तथा उनके स्वामित्व में आयी दासियों के सम्बंध1 में। ताकि तुमपर कोई संकीर्णता (तंगी) न हो और अल्लाह अति क्षमी, दयावान् है।

पर लोगो ने फिर कहा की क़ुरान तो कहती है की नबी का अनुसरण करो, इस पर फिर अल्लाह ताला आ गए, और अल्लाह कहता है ज्यादा सवाल न करे वरना आप अपना ईमान खो देंगे

क़ुरान 5 : 101/102

हे ईमान वालो! ऐसी बहुत सी चीज़ों के विषय में प्रश्न न करो, जो यदि तुम्हें बता दी जायें, तो तुम्हें बुरा लग जाये तथा यदि तुम, उनके विषय में, जबकि क़ुर्आन उतर रहा है, प्रश्न करोगे, तो वो तुम्हारे लिए खोल दी जायेंगी। अल्लाह ने तुम्हें क्षमा कर दिया और अल्लाह अति क्षमाशील सहनशील[ है।

ऐसे ही प्रश्न एक समुदाय ने तुमसे पहले [ किये, फिर इसके कारण वे काफ़िर हो गये।

और जो इस्लाम को छोड़कर काफिर हुए है, उनकी सजा तो मौत है।

सब अपने अपने घर चले गए, पर कहानी यही समाप्त नहीं हुई, एक और नई समस्या खड़ी हुई, सालिम उम्मे सलमा का आजाद किया हुआ गुलाम था जिसे उम्मे सलमा ने आजाद कर दिया और अल्लाह द्वारा गोद लेने के रिवाज को ख़त्म करने से पहले ही, उसने उसे गोद ले लिया, पर अब तो अल्लाह ने गोद लेने का रिवाज ख़त्म कर दिया और इसके अनुसार सालिम उनका बेटा नहीं था, तो उम्मे सलमा रसूल के पास आयी और उनसे पूछा, ए अल्लाह के रसूल, सालिम मेरा आजाद किया गुलाम है, जिसे मैंने गोद लिया था और अब हमारे साथ रहता है, सालिम अब बड़ा हो गया है और वह सब कुछ समझने लगा है जो एक मर्द समझता है, सालिम के घर आने से मेरे शौहर को कैफियत महसूस होती है, तो मै क्या करू ? तो अल्लाह के रसूल ने इसका भी एक तोड़ निकाला, और कहा जाओ उसे अपना दूध पिलाओ, उम्मे सलमा बोली ये आप क्या कह रहे है ? रसूल मुस्कुराये, उम्मे सलमा ने वैसा ही किया और 5 बार अपना दूध सालिम को पिलाया, उम्मे सलमा का पति भी ये सोचकर की कुछ और नहीं करवाया उसकी कैफियत भी जाती रही, गैर महरम को महरम बनाने की यह निंजा टेक्निक क़ुरान में भी नाजिल हुई पर एक नामुराद बकरी अल्लाह का वो पैगाम जो एक पत्ते पर लिखा था खा गयी, वर्ना अभी आप सोचिये की क्या हो रहा होता।

पर ये सब तो इतिहास है, प्रश्न तो ये है की इससे वर्तमान मुस्लिम पर क्या फरक पड़ता है, तो इसका जवाब है, एक मुस्लिम बच्चे गोद नहीं ले सकता, इसका अर्थ है, की उस बच्चे को वह व्यक्ति अपना नाम और जायदाद दोनों ही नहीं दे सकता, दूसरे रूप में गोद ले सकता है,और इस्लाम में आप अपनी ही गोद ली हुई बच्ची से निकाह कर सकते है , आप अपने गोद लिए बेटे की पत्नी से भी निकाह कर सकते है, जब वह उससे अपनी आवश्यकता पूरी कर ले, आप अपनी stepsister से भी निकाह कर सकते है आप अपनी stepdaughter से भी निकाह कर सकते है, यदि आपने उसकी माँ के साथ किसी प्रकार का शारीरिक सम्बन्ध न बनाया हो।

तो प्रभाव तो बहुत व्यापक है….

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