मदीना के यहूदी कबीलों का पलायन और कत्लेआम, बनु नजीर कबीले की कहानी

बनु नजीर मदीना में रहने वाला एक प्रमुख संपन्न यहूदी कबीला था, 

जिनके पास मदीने की खेती लायक जमीन और खजूर के बागान थे, बनु नजीर के मुखिया काब बिन अशरफ का क़त्ल मोहम्मद साहब ने करवा दिया था, और  बनु कुनैका के बाद बनु नजीर वो दूसरा कबीला था जिसका सब कुछ छीनकर मोहम्मद साहब ने उसे मदीना से निष्कासित कर दिया था। 



इस्लामिक इतिहासकार मोदुदी इस किस्से को बयान करते हुए लिखता है की 

 Book : Tahfeem-ul-Quran by Syed Abul A'ala Maududi page 408 

बनु कुनेका कबीले के पलायन और काब बिन अशरफ के कत्ल के बाद, कुछ समय तक यहूदी इस हद तक डरे हुए थे की उन्होंने कोई गलती करने की हिम्मत न की, लेकिन जब कुरेश ने बद्र में हुई अपनी हार का बदला लेने के लिए मजबूत तैयारी के साथ मदीना के लिए कूच किया, तब यहुदियों ने देखा कि 3000 कुरेशो के मुकाबले में मोहम्मद के पास सिर्फ 1000 लोग आगे बढ़ रहे है, तो उनमें से 300 लोग ऐसे थे जो शहर की रखवाली के लिए मोहम्मद को छोड़कर मदीना वापस लोट गए थे, ये वो लोग थे जो खजरस कबीले के मुखिया अब्दुल्ला बिन उबय के पैरोकार थे। 
मुस्लिम विद्वानों का मानना है की मक्का के खिलाफ मजहबी जंग में मोहम्मद का साथ न देने के लिए यहूदी संधि तोड़ने के लिए जिम्मेदार थे, वे यहूदी जिनके एक कबीले को मोहम्मद साहब ने मक्का से निष्कासित कर दिया था, और उनके मुखिया काब बिन अशरफ का कत्ल भी कर दिया था। यहुदियों का मोहम्मद और कुरेश के बीच जंग से कोई लेना देना नही था, वैसे भी बनू कुनेका कबीले को खत्म करके और उनके मुखिया काब बिन अशरफ को मरवाकर मोहम्मद साहब पहले ही संधि तोड़ चुके थे। बावजूद इसके मोहम्मद साहब को सही साबित करने के लिए मुस्लिम विद्वान यहुदियों को उनके पलायन का जिम्मेदार बताते है। खैर....
जंग ए उहूद मैं हुई हार और उसमें हुए नुकसान की भरपाई के लिए व अपने सहाबियो में विश्वास जगाने के लिए की अल्लाह ने काफिरों को माफ नही किया है, बनू नजीर, बनू कुनेका के बाद एक आसान शिकार था, और अब मोहम्मद साहब बस एक मौका ढूंढ रहे थे जिससे उन्हें बनू नजीर पर धावा बोलने का बहाना मिल जाएं। 


 Book : Tahfeem-ul-Quran by Syed Abul A'ala Maududi page 409 

बीर मौनाह की घटना के बाद "उमर बिन उमय्याह दामरी ने गलती से बनु अमीर कबीले के दो आदमीयो को  मार डाला जो वास्तव में एक ऐसे कबीले के थे जिन्होंने मुसलमानों से संधि, की वे उनके कबीले के लोगो के साथ लूट पाट या खून खराबा नही करेंगे और बदले में ये उनका साथ देंगे, कर रखी थी पर अमर ने उन्हें दूसरे कबीले का समझकर उन्हे मार डाला था, अब समझौते के मुताबिक मोहम्मद साहब की मजबूरी थी की वो इस कबीले के उन बेगुनाह लोगो के कत्ल के लिए कुछ blood money, या मुआवजा दे। हालांकि बनू कुनेका कबीले से लूटी हुई बहुत सारी धन दौलत होने के बावजूद मोहम्मद साहब बनु नजीर कबीले के पास गए और उनसे मांग की, की वो भी ब्लड मनी चुकाने में उनकी मदद करे, ये नाजायज मांग बनू नजीर कबीले में गुस्सा भड़काने वाली थी, और मोहम्मद साहब को लगा की बनू नजीर कबीले के लोग भी इस मांग का विरोध करेंगे और फिर उन्हें इस  कबीले पर हमला करने का अच्छा बहाना मिल जायेगा पर बनू नजीर कबीले के लोग इतने डरे हुए थे की उन्होंने उनकी ये नाजायज मांग भी स्वीकार कर ली और मोहम्मद साहब के आदमियों से हुई गलती का कफ्फारा अदा करने के लिए धन इकठ्ठा करने चले गए, और मोहम्मद साहब और उनके सहाबी एक दीवार के पास बैठकर उनका इंतजार करने लगे, पर मोहम्मद साहब तो चाहते ही नही थे की ऐसा हो तो अचानक उन्हे एक नई रणनीति सूझी, और मोहम्मद साहब अचानक उठ खड़े हुए और अपने साथियों को बिना कुछ बताए ही, चुपचाप अपने घर आ गए, बाद में उनके साथी उनसे मिलने आए और उनसे पूछा की उन्होंने ऐसा क्यों किया तो मोहम्मद साहब ने कहा की फरिश्ते जिब्राइल ने उन्हे बताया की जिस दीवार के पास वो बैठे हुए थे, उसके ऊपर से यहूदी सिर पर पत्थर गिराने की साजिश कर रहे थे, और ये इल्जाम लगाकर वो बनू नजीर पर हमले की तैयारी करने लगे, हालांकि ये इल्जाम सरासर गलत है, क्योंकि यदि यहूदी सच में उन पर पत्थर गिराने की साजिश कर रहे थे, और उन्हे ये बात पता चल गई तो उन्होंने अपने लोगो को तुरंत चेतावनी क्यों नही दी, और यदि यहूदी सच में ऐसा कर रहे थे तो उन्हे तो यहुदियों को रंगे हाथ पकड़ना चाहिए था, आखिर वो एक नबी होने का दावा करने वाले इंसान थे। मगर न तो उनके किसी साथी ने किसी को दीवार पर चढ़ते देखा और न ही उन्हें अपनी जान पर किसी खतरे का अंदाजा हुआ था, खैर फिर मोहम्मद साहब अपने लोगो के साथ बनू नजीर की तरफ निकल पड़े, मोदूदी इस वाक्ये के अंत में लिखता है की..

 Book : Tahfeem-ul-Quran by Syed Abul A'ala Maududi page 410 

अब उन लोगो पर कोई रियायत बरतने का सवाल ही नहीं था, अल्लाह के रसूल ने उन्हें पैगाम पहुंचाया की उन्होंने जो गद्दारी उनके खिलाफ की थी, फ़रिश्ते जिब्राईल के जरिये उसका पता उन्हें चल गया है, इसलिए नजीर कबीले के लोग 10 दिन में मदीना छोड़ के चले जाए, इसके बाद यदि कोई गलती से भी अपने घरों में मिल गया तो उन्हें हमारी तलवारों का सामना करना पड़ेगा, अब्दुल्ला बिन उबई ने भी बनू नजीर कबीले की मदद करने की हर संभव कोशिश की, पर वो नाकाम रहे, और मोहम्मद साहब के लोग कट्टरता में इतने अंधे हो चुके थे की उन्होंने अब्दुल्ला बिन उबई को मोहम्मद साहब से बात करने के लिए उनके टेंट में घुसने तक नही दिया और जलील भी किया, कुछ दिनों की घेराबंदी के बाद नजीर कबीले के लोग अपना सारी जमीन जायदाद छोड़कर मदीना से चले जाने के लिए तैयार हो गए और उन्होंने मदीना छोड़ दिया, उनमें से कुछ सीरिया और कुछ ख़ैबर चले गए, पर बाद में इन इलाकों पर भी मोहम्मद साहब की नजर पड़ गई और उन्होंने वहा भी हमले करके नजीर कबीले के बाकी बचे लोगो का भी कत्ल कर दिया। 
बनू नजीर को मदीना से निकाले जाने पर अल्लाह कुरान में कहता है की 

कुरान सूरा हश्र आयत 2, कुरान 59 : 2  

It is He who expelled the ones who disbelieved among the People of the Scripture from their homes at the first gathering. You did not think they would leave, and they thought that their fortresses would protect them from Allāh; but [the decree of] Allāh came upon them from where they had not expected, and He cast terror into their hearts [so] they destroyed their houses by their [own] hands and the hands of the believers. So take warning, O people of vision.
— Saheeh International 

वही तो है जिसने एहले किताब में से उनको (बनी नुजै़र) जिन्होंने इंकार किया पहले हष्र (जि़लाए वतन) में उनके घरों से निकाल बाहर किया।  (मुसलमानों) तुम तो ये धारणा भी न करते थे कि वह निकल जाएँगे और वह लोग ये समझे हुये थे कि उनके कि़ले उनको ख़ुदा (के अज़ाब) से बचा लेंगे मगर जहाँ से उनको ख़्याल भी न था ख़ुदा आ पंहुचा और उनके दिलों मे रौब डाल दिया कि वह लोग ख़ुद अपने हाथों से और मोमिनीन के हाथों से अपने घरों को उजाड़ने लगे तो ऐ आँख वालों शिक्षा ग्रहण करो। 

पर रुकिए, कहानी यही खत्म नहीं हुई, इसके बाद मोहम्मद साहब ने बनू नजीर के सभी पेड़ो को काटकर उन्हे भी जला देने का हुक्म दे दिया, और कुरान में आदेश नाजिल करवाया। 

कुरान सूरा हश्र आयत 5, कुरान 59 : 5 

Whatever you have cut down of [their] palm trees or left standing on their trunks - it was by permission of Allāh and so He would disgrace the defiantly disobedient.
 Saheeh International  
 
जो भी खजूर का पेड तुमने काटा अथवा उसे अपनी जड़ो पर खड़ा रहने दिया, तो अल्लाह के आदेश पर ऐसा किया और ऐसा करने का ये कारण था की अवज्ञा कारियो को अपमानित करे। 

यह एक ऐसी जंग थी जिसमे लूट का सिर्फ पांचवा हिस्सा नहीं बल्कि पूरा का पूरा माल रसूल का था क्योंकि इसमें कोई लड़ाई नही लड़ी गई थी। 

पर नबी बनु नजीर तक नहीं रुके वरन उसके बाद जो हुआ वो तो और भी डराने वाला था, जब नबी ने मदीना के तीसरे यहूदी कबीले बनु कुरैजा के 800 लोगो का एक ही दिन में कत्लेआम करवा दिया, यहाँ तक की वे बच्चे भी मारे गए जिनके प्राइवेट पार्ट पर बाल उग आये थे, और उनकी महिलाये और बच्चे sex स्लेव और ग़ुलाम बना दिए गए



Research Credit : Zafar heretic 

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