काब बिन अशरफ़ बनू नजीर कबीले का मुखिया था
और वह एक ऐसा इंसान था जिसका न सिर्फ यहूदी कबीले वरन, अरबी कबीले भी बहुत सम्मान करते थे, काब बिन अशरफ़ एक बेहतरीन शायर और एक अमीर इंसान था, और शायरी लिखने में इसकी महारत के कारण न सिर्फ यहुदियों बल्कि अरबी कबीलों के लोगो पर भी काब बिन अशरफ का एक खास असर था....
Ibn ishaq लिखता है...
Book the life of Muhmmad page 365
जब मोहम्मद साहब ने बद्र की जंग में कुरेश को हरा दिया तो इसकी खुश खबरी देने के लिए बद्र से मदीना में कुछ लोग भेजे, उन लोगो ने मदीना में रहने वाले मोमिनों को बताया की, अल्लाह ने मुहम्मद साहब को बद्र में फतह दी है, और मुश्रीको के फला फला लोग कत्ल कर दिए गए, कत्ल किए गए लोगो में उस वक्त अरब के कुछ बहुत सम्मानित माने जाने वाले लोग भी शामिल थे, जब काब बिन अशरफ को यह बात पता चली तो, उसने कहा, की क्या ये खबर सच्ची है, क्या मुहम्मद साहब ने अरब के इन उच्चे दर्जे और बहुत सम्मानित लोगो का कत्ल करवा दिया है, यदि सच में मुहम्मद ने इनका कत्ल करवाया है तो, बाखुदा जिंदा रहने से मर जाना बेहतर है, जब काब बिन अशरफ को इस बारे में पूरा यकीन हो गया की ये खबर पूरी तरह सच्ची है तो वह अपने कुछ लोगो के साथ मक्का आ गया और मक्का के लोगो को मुहम्मद साहब के कारनामों के बारे में अपनी शायरी के जरिए बताने लगा, और कुरेश के लोगो के लिए मरसिए भी पढ़ने लगा, जब मुहम्मद साहब को इस बारे में पता चला कि काब बिन अशरफ मदीने से मक्का जाकर उनके खिलाफ शायरी कर रहा है तो उन्होंने अपने लोगो से कहा की काब बिन अशरफ का काम कौन तमाम करेगा वो अल्लाह और उसके रसूल को सता रहा है।
सहीह अल बुखारी 4037
जाबिर बिन अब्दुल्लाह से रिवायत है की अल्लाह के रसूल ने कहा "काब बिन अशरफ का क़त्ल कौन करेगा वह अल्लाह और उसके रसूल को बहुत सता रहा है" इस पर मुहम्मद बिन मसलमा खड़ा हुआ और कहा "ओ अल्लाह के रसूल क्या आप इजाजत देंगे की, मै उसे क़त्ल कर आऊ" तो अल्लाह के रसूल कहा "हा", मुहम्मद बिन मुसलमा ने कहा "तो फिर मुझे इजाजत दीजिये की मै उससे कुछ बाते (झूठ) कहु " रसूल ने उसे इजाज़त दे दी, मुहम्मद बिन मुसलमा काब के पास गया और उससे कहा की "यह (रसूल) शख्श हमसे सदका मांगता रहता है और उसने हमें परेशान कर रखा है, इसलिए मै तुमसे कर्जा मांगने आया हु, इस पर काब ने कहा "अल्लाह की कसम अभी तो आगे देखना बिलकुल उकता(परेशान हो) जाओगे" मुहम्मद बिन मुसलमा ने कहा "अब चूँकि हमने उसका अनुसरण कर लिया है, इसलिए हम उसे तब तक नहीं छोड़ना चाहते जब तक कि हम यह न देख लें कि उसका अंत कैसा होने वाला है। अब हम चाहते हैं कि आप हमें एक या दो ऊँट के भार जितना भोजन दें।" (एक या दो ऊंटों के बारे में कथाकारों के बीच कुछ अंतर।) काब ने कहा, "हाँ, (मैं तुम्हें उधार दूंगा), पर तुम्हे कुछ गिरवी रखना होगा, उन्होंने पूछा "गिरवी में तुम क्या चाहते हो?" उसने कहा "अपनी ओरतो को रख दो, उन्होंने कहा की तुम अरब के सबसे खूबसूरत मर्द हो, हम तुम्हारे पास अपनी औरते किस तरह गिरवी रख सकते है? उसने कहा, फिर अपने बच्चो को गिरवी रख दो। उन्होंने कहा, हम बच्चो को किस तरह गिरवी रख सकते है, कल उन्हें इसी पर गालिया दी जाएगी की एक दो वस्क के गल्ले पर उन्हें गिरवी रख दिया गया था, ये तो बड़ी बेग़ैरती होगी। अलबत्ता हम अपने हथियार तुम्हारे पास गिरवी रख सकते है, मुहम्मद बिन मुसलमा और उसके साथियों ने काब से दुबारा मिलने का वादा किया और रात को उसके किले पर पहुंचे, उसके साथ अबू नायला भी मौजूद थे, वो काब बिन अशरफ का रजाई भाई था। फिर उसके किले के पास आए जाकर उन्होंने आवाज दी, काब बिन अशरफ़ बाहर आने लगा तो उसकी बीवी ने कहा की इस वक्त (इतनी रात गए ) कहा बहार जा रहे हो? उसने कहा, वो मुहम्मद बिन मसलमा और मेरा भाई अबू नायला है। उसकी पत्नी ने उससे कहा की मुझे तो ये आवाज ऐसी लगती है मानो उससे खून टपक रहा हो। काब ने जवाब दिया शरीफ को अगर रात में भी नेजाबाजी के लिए बुलाया जाए तो वो निकल पड़ता है, भले ही उसे मारने के लिए ही क्यों न आमत्रित किया जा रहा हो। रावी ने बयान किया की जब मुहम्मद बिन मुसलमा अंदर गए तो उनके साथ दो आदमी और थे। (कुछ कथाकार पुरुषों का उल्लेख 'अबू बिन जबर। अल हरीथ बिन औस और' अब्द बिन बिशर के रूप में करते हैं) इसलिए मुहम्मद बिन मुसलमा अपने साथ दो आदमियों को लाये थे और उन्हें ये हिदायत की थी की जब काब आए तो मै उसके (सर के) बाल हाथ में ले लूंगा और सूंघने लगूंगा जब तुम्हे अंदाजा हो की मैंने उसका सर पूरी तरह अपने कब्जे में ले लिया है तो फिर तुम तैयार हो जाना और उसे क़त्ल कर डालना। आखिर काब चादर लपेटे हुए बहार आया। उसके जिस्म से खुश्बू फुट पड़ती थी। मुहम्मद बिन मुसलमा ने कहा आज से ज्यादा उम्दा खुशबु मैंने कभी नहीं सूंघी थी। इस पर काब बोले की मेरे पास अरब की वो औरत है जो हर वक्त इत्र में बसी रहती है। मुहम्मद बिन मुसलमा ने उससे कहा, क्या तुम्हारे सर को मुझे सूंघने की इजाजत है? उसने कहा सूंघ सकते हो। फिर मुहम्मद बिन मुसलमा ने उसका सर सुंघा और उसके बाद उसके साथियो ने भी सुंघा। फिर उन्होंने कहा क्या दोबारा सूंघने की आजादी है ? उसने इस बार भी इजाजत दे दी। फिर जब मुहम्मद बिन मुसलमा ने उसे पूरी तरह अपने काबू में कर लिया तो अपने साथियो को इशारा किया की तैयार हो जाओ, फिर उन्होंने उसे क़त्ल कर दिया और रसूल की खिदमत में हाजिर होकर उसकी खबर दी।
Sahih al-Bukhari 4037
Chapter 15: The killing of Ka'b bin Al-Ashraf
Book 64: Military Expeditions led by the Prophet (pbuh) (Al-Maghaazi)
इशहाक आगे लिखता है, मुसेलमा ने कहा की काब बिन अशरफ के कत्ल ने यहुदियों के दिलो में इतना खोफ भर दिया की वहा ऐसा एक भी यहूदी मौजूद नही था जिसके दिलो में मौत का खोफ न हो, इस घटना के बाद सब यहूदी अपने प्राणों के लिए डरे हुए थे ।
Book : The Life Of Muhmmad Page 368
देखिये कुछ मोमिन ये दावा कर सकते है की, चूँकि काब बिन अशरफ मोहम्मद साहब के खिलाफ शायरी कर रहा था इसलिए हुए उसे मारा गया तो, मेरा सवाल है की अगर वो सच में खुदा के नबी थे तो क्या वो ये काम अपने कुन फाय कुन से नहीं करवा सकते थे, जब हम कहते है की एक इंसान खुदा का पैगमबर है तो इसका मतलब है की उसका चरित्र इतना अच्छा होगा की सब उसे फॉलो करे, एक इंसान जिसमे इतनी भी सहन शक्ति नहीं थी की लोगो के उसके खिलाफ शायरी लिखने पर उनका क़त्ल करवा दे, वो कभी एक आदर्श इंसान तो दूर की बात एक अच्छा इंसान भी नहीं हो सकता, जीसस या भगवान बुद्ध का भी उनके समय के बहुत लोगो ने विरोध किया था, पर उन्होंने किसी का क़त्ल नहीं करवाया, वरन वो सब अंत तक समाज को प्रेम का सन्देश देते रहे। दूसरा पहलु यह है की इससे वर्तमान परिथितियों को समझा जा सकता है क्योंकि वो उस इंसान को फॉलो कर रहे है, अभी स्वीडन में कुरान जलाए जाने पर दंगे भड़का दिए गए, और कितने ही लोगो की जान और माल का नुक्सान हुआ और इसमें मोमिनो का पाखंड भी झलकता है, क्योंकि एक तरफ मुस्लिम खुले आम सार्वजानिक स्थानों पर दूसरे धर्मो का मजाक बनाते है (मुनव्वर फारुखी या pk मूवी) उन्हें अपमानित करते है और दूसरी तरफ जब कोई उनके साथ ऐसा कर दे तो वो तुरंत आक्रामक हो जाते है(चार्ली हेब्दो, स्वीडन की घटना, पाकिस्तान जैसे देशो में ब्लासफेमी के नाम पर क़त्ल, आदि )।
मैंने यह उदाहरण सिर्फ इसलिए दिया है ताकि मेरे मुस्लिम भाई इस सच्चाई को समझे, और अपने आप को नफरत के जाल से बाहर निकाल सके।