डॉ. पीटर हैमंड अपनी पुस्तक "Slavery, Terrorism & Islam" में बताते है की, जब किसी देश में अपने तथाकथित धार्मिक अधिकार की मांग करते हुए आंदोलन शुरू करने के लिए मुसलमानो की संख्या पर्याप्त हो जाती है तो किस तरह उस देश का इस्लामीकरण होता है।
जब राजनितिक रूप से शुद्ध और सांस्कृतिक रूप से भिन्न समाज उचित अधिकार देने को तैयार हो जाते है तो मुसलमान अपने धार्मिक अधिकारों की मांग करने लगते है और इस अधिकार की आड़ में वे अन्य कई तरह की छूट हासिल कर लेते है। यहाँ देखिए, यह होता कैसे है... (प्रकाशित स्त्रोत्र CIA : the world fact book 2007)
किसी देश में मुसलमानों की जनसंख्या जब तक 1 प्रतिशत के आस पास होती है, वे शांति प्रिय अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में दिखाई देते है और किसी के लिए खतरा नहीं होते है। वास्तव में, ये लेखों और फिल्मों में अपनी रंगबिरंगी विशेषता में रमे समुदाय के चित्रण के रूप में स्थान पा सकते है :
अमेरिका - 1.1 प्रतिशत, आस्ट्रेलिया 1.5 प्रतिशत, कनाड़ा - 1.9 प्रतिशत, चीन - 1.0 प्रतिशत, इटली - 1.5 प्रतिशत, नार्वे - 1.8 प्रतिशत
जब इनकी आबादी 2 और 3 प्रतिशत हो जाती है तो ये, अन्य नृजातीय अल्पसंख्यको और असंतुष्ट समूहों खासकर जेलयाफ्ता या अपराधी गिरोहों के सदस्यों को फुसलाकर धर्मपरिवर्तन कराने लगते है :
फिनलैंड - 2.7 प्रतिशत, रिपब्लिक ऑफ़ काँगो, 2 - प्रतिशत, माल्टा - 2 प्रतिशत, स्पेन - 4 प्रतिशत
जब इनकी आबादी 5 प्रतिशत हो जाती है तो उस स्थान की जनसंख्या में अपने अनुपात के हिसाब से अत्यधिक प्रभाव का इस्तेमाल करने लगते है :
ये हलाल (इस्लामी मानकों से तैयार) खाने पर जोर देने लगते है, इसके बाद खाद्य पदार्थो को तैयार करने में मुसलमानो को नौकरी पर रखवाने लगते है, ये सुपर मार्किट चैन पर हलाल समान रखने का दबाव बनाने लगते है, और ऐसा न करने पर धमकी भी देते है :
फ्रांस - 5 प्रतिशत, फिलीपीन्स - 5.57 प्रतिशत, स्विजरलैंड - 5 प्रतिशत, नीदरलैंड्स - 5 प्रतिशत त्रिनिदाद-टोबेगो - 6 प्रतिशत
इतना होने पर ये सरकार पर अपने लिए इस्लामी कानून शरिया लागू करवाने के लिए दबाव डालने लगते है। इस्लाम का अंतिम लक्ष्य दुनिया का धर्मांतरण करना नहीं, बल्कि पुरे विश्व को शरिया कानून के तहत लाना है।
जब मुसलमानो की आबादी 10 प्रतिशत पर पहुंच जाती है, तो ये अपनी हालत के बारे में शिकायत करने के साधन के रूप में उपद्रव करना शुरू कर देते है, कोई बभी गैर इस्लामी कार्य जिससे इस्लाम आहात हो, उसपर धमकिया देने लगते है।
गुयाना -10, भारत- 15 प्रतिशत, इजराइल - 18 प्रतिशत, और स्वीडन इसका बेहतरीन उदाहरण है।
20 प्रतिशत पहुंचने पर छोटी छोटी बात पर दंगा करने लगते है , जिहाद के लिए आतंकी संगठन बनाते है, यहाँ वहा हत्याए करते है, मंदिर गिरिजाघर, यहूदियों के उपासना स्थल और दूसरे धर्मो के पूजास्थल जलाते है
इथोपिया 31 प्रतिशत, साइप्रस - 25.5, घाना - 19.9, लाइबेरिया - 20 प्रतिशत, मलावी - 20 प्रतिशत
जब मुसलमान 40 प्रतिशत से अधिक हो जाते है तो आप देखेंगे की ये नरसंहार करने लगते है, लगातार आतंकी हमले करते है और गृहयुद्ध छेड़ देते है :
बोस्निया - 50.7 प्रतिशत, चाड - 58 प्रतिशत , लेबनान - Ivory coast - 42.9 प्रतिशत Eritrea - 51.6 प्रतिशत, Guinea-Bissau - 46.1 प्रतिशत
60 प्रतिशत से ऊपर होने पर मुसलमान निरंकुश होकर गैर मुस्लिमों और दूसरे धर्मो के लोगो की हत्याए करने लगते है, छिटपुट जातीय नरसंहार करने लगते है, हथियार के रूप में शरिया कानून का प्रयोग करते है, इस्लाम नहीं मानने वालो पर जज़िया कर लगाते है :
अल्बानिया 58.8 प्रतिशत, मलेशिया 61 प्रतिशत, क़तर 77.5 प्रतिशत,
80 प्रतिशत होने के बाद मुसलमान शासन-सत्ता के माध्यम से जातीय समूहों का सफाया और नरसंहार कराते है: बांग्लादेश - 90 प्रतिशत, पाकिस्तान 97.0 प्रतिशत, इजिप्ट - 90 प्रतिशत, गाजा - 90 प्रतिशत, इंडोनेशिया - 86.7 प्रतिशत, ईरान - 99.4 प्रतिशत इराक - 95.7 प्रतिशत, जार्डन - 97.2 प्रतिशत, मोरक्को - 90 प्रतिशत, फिलिस्तीन - 90 प्रतिशत, सीरिया - 85 प्रतिशत, तजाकिस्तान - 98 प्रतिशत, तुर्की - 99, प्रतिशत सयुक्त अरब अमीरात - 85 प्रतिशत
जब मुसलमान 100 प्रतिशत हो जाते है तो उसे दार उल इस्लाम कहते है, यहाँ मुस्लिम मानते है की पूरी तरह शांति होगी क्योंकि हर व्यक्ति मुसलमान है :
अफगनिस्तान - 100 प्रतिशत, सोमालिया - 100 प्रतिशत, यमन - 100 प्रतिशत
तो क्या 100 प्रतिशत मुसलमानो के होने के बाद उस देश में शांति आ जाती है? बिलकुल नहीं
खून की प्यास बुझाने के लिए मुसलमान तमाम बहाना लेकर मुसलमानो को ही मारना शुरू कर देते। अभी अफगानिस्तान में कितने ही शिया मुस्लिमो पर हमले किये गए, इसे बेहतर तरीके से समझे तो जब सब मुस्लिम हो जाते है तो ये लोग एक दूसरे को ही काफिर बताकर मारना शुरू कर देते है, जैसे की पाकिस्तान में अहमदिया मुस्लिमो को मुस्लिम ही नहीं माना जाता, सुन्नी कहते है की शिया काफिर है, शिया कहते है की बरेलवी काफिर है, बरेलवी कहते है की देवबंदी काफिर है, देवबंदी कहते है वहाबी काफिर है, कट्टर मुस्लिम कहते है मॉडरेट मुस्लिम मॉडरेट मुस्लिम काफिर है, और सबसे शानदार, जब ISIS या इस्लामिक आतंकवादी किसी बेगुनाह की जान ले लेते है तो मॉडरेट मुस्लिम कहते है, "ये सच्चे मुस्लिम नहीं है" अतः ये क्रम चलता रहता है, तो अंत में जब कोई नहीं बचता तो ये एक दूसरे को ही मारना शुरू कर देते है।
Source : Book "Understanding Muhammad by Ali Sina"