जुवेरिया बिन्त अल हारिथ मोहम्मद साहब की अनेकों बीवियों में से एक थी, वैसे उन्हें भी मोहम्मद साहब की बीवी कहना अन्याय होगा, क्योंकि वह मुसाफा बिन सफवान की पत्नी थी, जिसे मोहम्मद साहब के सहाबियों ने मार दिया था। जुवेरिया की जब मोहम्मद साहब से शादी हुई तब वह 20 साल की थी, और बहुत खुबसूरत थी, जुवेरिया की खूबसूरती उनके लिए भले ही श्राप थी पर उनकी खूबसूरती ने उसके कबीले के सैकड़ों लोगो की जान और सैकड़ों लड़कियों को नीलाम होने और उनके रेप होने से बचा लिया।
तो चलिए आज उन्ही जुवेरिया बिन्त हरिथ की मार्मिक कहानी को याद करते है।
जुवेरिया बनू मुस्तलिख कबीले के मुखिया अल हरीथ बिन्त अबू दिरार की बेटी थी, उस वक्त यहूदी कबीलों बटे हुए थे, जब इस्लाम अपने शुरवाती दिनों में था और मोहम्मद साहब मदीना आ गए तो ये अपने सहबियो के साथ कारवां को लूटने और मार काट मचाने लगे, इनके सहाबी शहरी लोगो और मुसाफिरो पर अचानक हमला करते और उन्हें लूट लेते और उनकी महिलाओं और बच्चों को भी उठा ले जाते, इन महिलाओं को यदि इनके पति जिंदा होते तो फिरौती देकर छुड़ा लेते या फिर इन्हें गुलाम लौंडी बना दिया जाता या फिर बेच दिया जाता, जब मोहम्मद साहब थोड़े ताकतवर हुए, तो उन्होंने अपने लोगो को जेहाद के लिए भड़काना शुरू किया और, कुरेश के साथ बद्र और उहुद की जंग (जिसमे वो बुरी तरह जख्मी हो गए, और उनके दो दांत भी टूट गए थे 😓😓), के होने के बाद एक दिन अचानक मोहम्मद साहब ने, बनू मुस्तलिख पर बिना चेतवानी हमला कर दिया…
Sahih Al Bukhari 2541
इब्न `औन ने बताया
मैंने नफी को एक पत्र लिखा और नफी ने अपने पत्र के जवाब में लिखा कि पैगंबर (ﷺ) ने बिना किसी चेतावनी के बानी मुस्तलिक पर अचानक हमला किया था, जबकि वे बेपरवाह थे और उनके मवेशियों को पानी के स्थानों पर पानी पिलाया जा रहा था। हमले से बचाव के लिए आए लोग मारे गए और उनकी स्त्रियों और बच्चों को बन्धुआई या गुलामी में ले लिया गया; उस दिन पैगंबर (ﷺ) को जुवैरिया मिली थी। नफी' ने कहा कि इब्न 'उमर ने उसे उपरोक्त कथन बताया था और इब्न' उमर उस सेना में था।
मुस्लिम इतिहासकारो की माने तो इस जंग में,मुसलमानों ने 600 इंसानों को कैदी बनाया, जिसमे महिलाएं और बच्चे भी थे, और उन्हें लूट में 2000 ऊट और 5000 बकरियां भी मिली थी।
इन्हीं गुलाम महिलाओं में हरिथ की बेटी जुवेरिया भी थी।
Book : The life of muhmmad by ibn ishaq page 493
युद्ध समाप्त होने के बाद
"रसूल ने बहुत सारी सेक्स स्लेव या बांदीया रख ली, और उन्हें मोमिनों में बाट दिया गया, मोमिनों में से ही किसी एक ने, अल हरीथ बिन्ते अबू दिरार की बेटी जुवेरिया को रख लीया।"
Book : the Life of muhmmad by ibn ishaq page 493
आयशा ने कहा :
जब रसूल बनू मुस्तलिक की गुलाम लोंडियों या सेक्स स्लेव को मोमिनों में बाट रहे थे, जुवेरिया ताबित बिनते कैश बिनते अल शम्स के हिस्से में आई, और जुवेरियां ने ताबीत को अपनी आजादी देने के लिए लालच दिया, जुवेरिया बहुत अधिक खूबसूरत थी, हर आदमी जिसने उसे देखा वह उसे पाना चाहता था, वह रसूल के पास आई और उनसे इस मामले में रसूल से मदद की गुहार की, जब मैंने उसे अपने कमरे के दरवाजे पर देखा तब मुझे उससे चिढ़ हुई, क्योंकि मैं जानती थीं की रसूल भी उसे वैसे ही देखेंगे जैसे की मैने देखा था, वह अंदर आई और उसने रसूल को बताया की वह बनू मुस्तलिख के मुखिया हरिथ बिनते अल दीरार की बेटी है, और उसने रसूल से कहा "आप देख सकते है की मैं किन हालातो में यहां लाई गई हु, मैं ताबीत के हिस्से में आई हु, और मैंने उसे मेरी आजादी के बदले में कुछ धन देने का प्रस्ताव दिया है, और मैं यहाँ इस मामले में आपकी मदद मांगने आई हु, रसूल ने कहा, क्या तुम इससे भी बेहतर कुछ चाहती हो, मैं तुम्हे आजाद कर दूंगा और तुमसे शादी कर लूंगा, और उसने कहा "हा"
Sunan Abi dawud 3931
आयशा, उम्मुल मुमिनिन से रिवायत है:
अल-हरीथ इब्न अल-मुस्तलिक की बेटी जुवेरियाह, थबित इब्न क़ैस इब्न शमास के हिस्से में आई थी, उसकी शादी चचेरे भाई से हुई थी जो जंगी हमले में मोहम्मद के खिलाफ लड़ता हुआ मारा गया। उसने अपनी स्वतंत्रता खरीदने के लिए थबित से एक समझौता किया। वह एक बहुत ही सुंदर महिला थी, जो देखने में सबसे आकर्षक थी।
आयशा ने कहा: वह फिर अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पास आई और उससे अपनी आजादी खरीदने के लिए कहा। जब वह दरवाजे पर खड़ी थी, तो मैंने उसे अस्वीकृति से देखा। मुझे एहसास हुआ कि अल्लाह के रसूल (ﷺ) उसे वैसे ही देखेंगे जैसे मैंने देखा था।
उसने कहा: अल्लाह के रसूल, मैं अल-हरिथ की बेटी जुवैरिय्याह हूं, और मेरे साथ कुछ ऐसा हुआ है, जो तुमसे छिपा नहीं है। मैं थबित इब्न क़ैस इब्न शमास के हिस्से में आई हु, और मैंने अपनी स्वतंत्रता के लिए थबीत से एक समझौता किया है। मैं अपनी स्वतंत्रता की खरीद के लिए सहायता लेने के लिए यहां आपके पास आई हूं।
अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने कहा: क्या तुम इससे भी बेहतर चाहती हो? उसने पूछा: वह क्या है, अल्लाह के रसूल? उसने उत्तर दिया: मैं तुम्हारी ओर से तुम्हारी स्वतंत्रता की कीमत चुकाऊंगा, बदले मैं तुमसे विवाह करूंगा। उसने कहा: हा।
आयश ने कहा: लोगों ने तब सुना अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने जुवेरिया से शादी कर ली है। उन्होंने बनू मुस्तलीख के बंदियों को उनके कब्जे से रिहा कर दिया और उन्हें आज़ाद कर दिया, और कहा: वे शादी के कारण अल्लाह के रसूल (ﷺ) के रिश्तेदार हैं। हमने जुवैरिय्याह से बड़ी कोई महिला नहीं देखी जिसने अपने लोगों के पर इतना बड़ा अहसान किया। उसके कारण बानू अल-मुस्तलिक के एक सौ परिवारों को मुक्त कर दिया गया था।
देखा जाए तो इस पूरी रिवायत को इस्लामिक इतिहासकारों ने पूरा चासनी में डूबो कर पेश किया है, फिर भी इससे मछली की दुर्गन्ध नही मिटी, मोमिन कहते है की उन्होंने जुवेरियां को आजाद कर दिया और जुवेरियाँ ने खुद मोहम्मद साहब से शादी करने के लिए हामी भरी, पर देखने वाली बात है की जुवेरिया को विधवा करने वाले भी वही थे, और जुवेरिया के पास मोहम्मद साहब से शादी करने के अलावा क्या कोई और विकल्प था? वह बनू मुस्थलिख की राजकुमारी थी, और जब रसूल ने उसे शादी की तब वह महज 20 साल की थी, यदि वह मोहम्मद से शादी के लिए हा न कहती तो उसके लोगो को भी मार दिया जाता और फिर उसे गुलाम लौंडी या सेक्स स्लेव बनकर जीना पड़ता,
बेशक जुवेरिया की खूबसूरती उसके लिए श्राप थी, क्योंकि उसे उसी इंसान के साथ सोना पड़ा जिसने उसके पति को मारा था, पर उसने अपनी खूबसूरती से बनू मुस्तलीख की सैकड़ों लड़कियों का रेप होने से और उन्हे बेचे जाने से बचा लिया। भले ही यह उसके लिए श्राप था पर उसके अपने लोगो के लिए उसकी खूबसूरती वरदान साबित थी।
Book : the life of muhmmad by ibn ishaq page 493
यह ख़बर मिली की रसूल ने जुवेरिया से शादी की ओर अब शादी के कारण बनू मुस्तलीख के लोग पैगंबर के रिश्तेदार थे, इसलिए बनू मुस्थलीख के लोगो को गुलामी से आजाद कर दिया गया, जब उसने रसूल से शादी की तो सैकड़ों परिवार आजाद हुए, हमने जुवेरिया जैसी कोई महिला नही देखी जिसने अपने लोगो पर इतनी बड़ी कृपा की हो।