सफ़िया कौन थी? कैसे मोहम्मद साहब ने किया था सफिया से निकाह ? जानिए सफिया की कहानी

सफ़िया, बनू नजीर और बनू कुरेजा नामक यहूदी कबीले की खातून या मालकिन थी, और मोहम्मद साहब की 9 मुख्य पत्नियों में से एक थी, (तबरी इनकी संख्या 13 बताता है) जो उन्हें जंग में हासिल हुई थी, वैसे उन्हें मोहम्मद साहब की वाइफ कहना उनके साथ अन्याय होगा, क्योंकि वह किनाना की पत्नी थी जिसे मोहम्मद साहब ने दर्दनाक मौत मार दिया था,

तो चलिए आज उन्ही सफीया बिन्त हुयेय, की दर्दनाक कहानी को याद करते है..


सफ़ियाह बिन्त हुये, मोहम्मद की पत्नी और ईमान वालो की माँ,  खैबर पर हमला और किनाना का क़त्ल, हज़रत, गुलाम लौंडी, सहीह बुखारी मुस्लिम हदीस, mothers of believers, उम्म उल मोमिनीन,

 प्रसिद्ध इस्लामिक इतिहासकार इब्ने ishaq ने इस किस्से को कुछ यु बयान किया है की 

 Book: the life of muhammad by ibn ishaq, page 515 

जब मोहम्मद साहब ने खैबर जो की यहुदियों का शहर था, उस पर बिना चेतवानी हमला किया, उसमें कुछ लोग मारे गए और जो बच गए उन्हें गुलाम बना दिया गया, इन गुलामों में एक किनाना नाम का आदमी भी था, जो की सफीया का पति था। 

किनाना अल रबी, जिसके पास बनू नजीर कबीले के खजाने का रहस्य या कस्टडी थी, उसे रसूल के पास लाया गया और रसूल ने उससे खजाने के बारे में पूछा, उसने मना कर दिया और कहा की, उसे नही पता की वह कहा है, फिर एक यहूदी को पकड़ कर लाया गया और उसने बताया की वह किनाना को रोज सुबह एक खंडहर में जाते हुए देखता था, जब मोहम्मद साहब ने किनाना से कहा की "क्या तुम्हे पता है, की यदि मुझे पता चल गया की, खजाना तुम्हारे पास है, तो मैं तुम्हे मार दूंगा, तब किनाना ने कहा "हा", तब मोहम्मद साहब ने खंडहर में खुदाई करने को कहा और वहा कुछ मात्रा में खजाना मिला, जब उन्होंने उससे बाकी के खजाने के बारे में पूछा तो उसने बताने से मना कर दिया, इसलिए रसूल ने अल जुबैर अल आवाम को आदेश दिया "इसे तब तक प्रताड़ित करो जब तक यह तुम्हे खजाने का पता न बता दे", फिर अल जुबैर ने आग में एक पत्थर गर्म किया और उसे किनाना के सीने पर रख दिया, और तब तक रखे रखा जब तक की वह करीब करीब मर चुका था, फिर रसूल ने उसे मुहम्मद बिन्ते मुसेलमा को सौप दिया, और उसने अपने भाई महमूद का बदला लेने के लिए उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। 

मुहम्मद साहब लगातार यहूदी किलो पर कब्ज़ा करते जा रहे थे, और ऐसे ही एक हमले में उन्होंने, सफिया और उनके लोगो को ग़ुलाम बना दिया, ishaq आगे लिखता है। 

 Book: the life of muhammad by ibn ishaq, page 515 

बिलाल, रास्ते में यहूदी लोगो की लाशों पर से चढ़कर सफीया को रसूल के पास लेकर आ रहा था, और जब सफिया की साथ वाली लड़कियों ने, मोमिनो को सफीया को रसूल के पास ले जाते देखा, तो वह उसके लिए खुद को थप्पड़ मार रही थी, चीख रही थी और रेत उठा उठा कर उनपर फेक रही थी, जब रसूल ने यह देखा तो उन्होंने कहा, "इन चुडेलो को यहां से हटाओ" और उन्होंने सफीया को उनके पीछे खड़े रहने का आदेश दिया, और अपना लबादा, या कपड़ा उस पर फेका ताकि मोमिन जान जाए की उन्होंने उसे चुन लिया है।

सहीह अल बुखारी में इस किस्से को कुछ यु बयान किया गया है। 

सहिह अल बुखारी 371  

अबुल अजीज ने रिवायत दी

अनस ने कहा, 'जब अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने खैबर पर आक्रमण किया, तो हमने वहां (सुबह-सुबह) फज्र की नमाज अदा की, जब अभी भी अंधेरा था। पैगंबर (ﷺ) सवार हुए और अबू तल्हा भी सवार हुए और मैं अबू तलहा के पीछे सवार था। पैगंबर (ﷺ) जल्दी से खैबर की गली से गुजरे और मेरा घुटना पैगंबर (ﷺ) की जांघ को छू रहा था। उसने अपनी जांघ खोली और मैंने पैगंबर की जांघ की सफेदी देखी। शहर में प्रवेश करते ही उन्होंने कहा, 'अल्लाहु अकबर! खैबर बर्बाद हो गया। जब भी हम एक (शत्रु) राष्ट्र (लड़ाई के लिए) के पास पहुँचते हैं तो सबसे बदनसीब वो होते है जिन्हे चेतावनी दी गई हो।' उन्होंने इसे तीन बार दोहराया। लोग अपने काम को छोड़कर बाहर आए और उनमें से कुछ ने कहा, 'मुहम्मद (आ गया)' (हमारे कुछ साथियों ने कहा, "उसकी सेना के साथ।") हमने खैबर पर विजय प्राप्त की, (वहा की महिलाए और बच्चे बंदी) बना ली और लूट ले ली गई। दीह्या ने आकर कहा, 'ऐ अल्लाह के नबी! मुझे बन्दियों में से एक लोंडी दो।' पैगंबर ने कहा, 'जाओ और किसी भी ग़ुलाम लौंडी को ले जाओ।' उन्होंने साफिया बिन्त हुयई को लिया। एक आदमी पैगंबर (ﷺ) के पास आया और कहा, 'हे अल्लाह के रसूल (ﷺ)! आपने सफ़िया बिन्त हुयई को दीह्या को दे दिया, वह कुरैदा और अन-नादिर के कबीलों की प्रमुख मालकिन है और वह आपके सिवा किसी और के लायक नहीं है।' तो पैगंबर (ﷺ) ने कहा, 'उसे उसके साथ ले आओ।' तो दीह्या सफीया के साथ आया और जब पैगंबर (ﷺ) ने उसे देखा, तो उसने दिहिया से कहा, 'बंदियों से उसके अलावा किसी भी लौंडी को ले लो।' 

अनस ने कहा: पैगंबर (ﷺ) ने फिर उसे आजाद किया और उससे शादी कर ली।" थबित ने अनस से पूछा, "ऐ अबू हमजा! पैगंबर (ﷺ) ने उसे (महर के रूप में) क्या भुगतान किया?" उसने कहा, "वह स्वयं उसकी महर थी क्योंकि उसने उसे आजाद किया और फिर उससे शादी कर ली।" अनस ने कहा, "रास्ते में, उम सुलैम ने उसे शादी के लिए कपड़े पहनाए ( समारोह) और रात में उसने उसे एक दुल्हन के रूप में पैगंबर (ﷺ) के पास भेजा।

पैगंबर एक दूल्हा था और उसने कहा, 'जिसके पास कुछ भी है (भोजन) उसे लाना चाहिए।' उन्होंने (भोजन के लिए) एक चमड़े की चादर बिछाई और कुछ खजूर लाए और कुछ मक्खन पका रहे थे। (मुझे लगता है कि उन्होंने (अनस) अस-सवाक का उल्लेख किया)। इसलिए उन्होंने हैस (एक प्रकार का भोजन) का व्यंजन तैयार किया। और वह अल्लाह के रसूल (ﷺ) की वलीमा (शादी का भोज) थी

Sahih al-Bukhari 371                                  
Chapter 12: What is said about the thigh,

 Book 8: Prayers (Salat)                              

https://sunnah.com/bukhari:371 

सफिया को महर में आजादी देकर मोहम्मद साहब ने सफीया से निकाह कर लिया। इस घटना के दो साल पहले मोहम्मद ने सफीया के पिता का कत्ल कर दिया था और जिस दिन उसने उसके पति का बेरहम कत्ल किया था उसी दिन वह किनाना की नौजवान पत्नी सफीया के साथ पहली रात बिताने को उसे अपने तंबू में उठा कर ले गया। ishaq इस शादी के बाद के किस्से को बताते हुए कहता है।  

 Book: the life of muhammad by ibn ishaq, page 517 

सफियाह का बलात्कार और उससे जबरन निकाह

जब रसूल ने खैबर में सफीया से शादी कर ली, और अपनी यात्रा पर थे, तब उम्म सलेम मिल्हान जो की अनस बिन मालिक की मा थी, ने सफीया का श्रृंगार किया और उसे रसूल के लिए दुल्हन की तरह तैयार किया, फिर रसूल ने सफीया के साथ अपने टेंट में रात गुजारी।

अबू अयूब, रसूल की सुरक्षा के लिए तब तक अपनी तलवार के साथ रसूल के टेंट पर पहरा दिया जब तक की सुबह न हो गई और जब रसूल ने उसे वहा देखा और उससे पूछा, उसका इरादा क्या है? उसने जवाब दिया की मुझे सफीया पर भरोसा नहीं है, चूंकि आपने हाल ही में इसके पिता, पति और इनके लोगो को मारा था और चूंकि यह पहले ईमान वाली भी नही थी तो मुझे आपकी सुरक्षा को लेकर डर था, मोहम्मद साहब ने अबू अयूब के मोहम्मद साहब की सुरक्षा के लिए चौकन्ने होने के लिए, अल्लाह से दुआ मांगी।

अब सोचिए सफीया पर क्या बीती होगी जब उसे अपने ही पिता, और पति की बेरहम हत्या करने वाले के साथ ही रात गुजारनी पड़ी, क्या किसी भी लड़की के लिए इससे ज्यादा बुरा कुछ हो सकता है।

कुछ और hadiths भी देख लेते है। 

Sahih al-Bukhari 947  

अनस बिन मालिक ने कहा;

अल्लाह के रसूल ने सुबह की नमाज़ पढ़ी, और सवार हुए और कहा, अल्लाह हु अकबर, खैबर बर्बाद हो चुका था, जब हम किसी कौम के करीब पहुंचते है तो, सबसे ज्यादा बदनसीबी उनकी होती है जिन्हे चेतवानी दी गई हो, लोग सड़कों पर निकल आए और कहा मोहम्मद और उसकी फ़ौज, अल्लाह के रसूल ने उन्हें मारकर जीता और, महिलाओं और बच्चों को कैदी बना लिया, सफिया को दिह्या अल-कलबी ने ले लिया था और बाद में वह अल्लाह के रसूल की थी जिससे उन्होंने शादी की और उसकी आजादी ही उसकी महर थी। 

Sahih al-Bukhari 947  
Chapter 6: Offering As-Salat (the prayers) 
while attacking the enemy and in battles,
 Book 12: Fear Prayer   

https://sunnah.com/bukhari:947

Sunan an-Nasa'i 3380    

अनस ने कहा

"अल्लाह के रसूल ने खैबर पर आक्रमण किया और हमने वहा अल-ग़दा (फ़ज्र) की नमाज पढ़ी जब वहा थोड़ा अंधेरा था, (सुबह जल्दी)। फिर पैगंबर सवार हुए और अबू तल्हा सवार हुए, और मैं अबू तल्हा के पीछे सवार था। अल्लाह के पैगंबर जल्दी से खैबर की गली से गुजरा, और मेरा घुटना अल्लाह के रसूल की जांघ को छू रहा था, और मैं पैगंबर की जांघ की सफेदी देख सकता था। जब उन्होंने शहर में प्रवेश किया तो उन्होंने कहा: 'अल्लाहु अकबर, खैबर नष्ट हो गया! जब भी हम एक (शत्रु) राष्ट्र से लड़ने के लिए जाते है, तो सबसे अधिक बदनसीब वो होते है जिन्हे चेतावनी दी गई हो', उन्होंने ऐसा तीन बार कहा, लोग (कथाकारों में से एक) अपने काम के लिए बाहर आए। "'अब्दुल-'अज़ीज़ ने कहा: "उन्होंने कहा: 'मुहम्मद (आ गया है)!" 'अब्दुल-'अज़ीज़ ने कहा: "हमारे कुछ साथियों ने कहा: 'उसकी सेना के साथ।'"

"हम जीत गए खैबर और बंदियों (गुलाम सेक्स स्लेव) को इकट्ठा किया। दीह्याह आया और कहा: 'अल्लाह के पैगंबर, मुझे बांदियो में से एक गुलाम लड़की दे दो।' उसने कहा: 'जाओ और एक दासी को ले जाओ।' उसने सफ़ियाह बिन्त हुयय को लिया। फिर एक आदमी पैगंबर के पास आया और कहा: 'अल्लाह के रसूल, आपने दीह सफ़ियाह बिन्त हुयय्य को दिया, वह कुरैज़ा और अन-नादिर की मुख्य मालकिन है, और वह किसी के लिए भी उपयुक्त नहीं है। उसने कहा: 'आप उसे लाने के लिए बुलाओ।' जब पैगंबर ने उसे देखा, तो उसने कहा: 'बंदियों में से किसी अन्य गुलाम लड़की को ले लो।'" उसने (कथाकारों में से एक) कहा: "अल्लाह के पैगंबर ने उसे आज़ाद कर दिया और उससे शादी कर ली।" थाबित ने उससे पूछा: "हे अबू हमजा, उसने उसे महर में क्या दिया?" उसने (अनस) कहा: "खुद उसे, उसने उसे आज़ाद कर दिया और उससे शादी कर ली।" उसने कहा: "यात्रा में, उम्म सुलैम ने उसे बाहर निकाला और रात में उसे रसूल के सामने पेश किया, और अगली सुबह वह शौहर बीवी थे। रसूल ने कहा: 'जिसके पास जो कुछ है, उसे लाने दो।' उसने एक चमड़े का कपड़ा फैलाया और लोग पनीर, खजूर और घी लेकर आए, और उन्होंने हैस बनाया, और वह अल्लाह के रसूल की वलीमा (शादी की दावत) थी।"शादी

Sunan an-Nasa'i 3380                           
Chapter 79: Consummation Of Marriage While Travelling, 
Book 26: The Book of Marriage           
Grade: Sahih (Darussalam)                   

Post a Comment

Previous Post Next Post